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Mughal Harem: मुगल हरम में महिलाओं के साथ होते थे ये काम, बादशाह ऐसे करते थे मनोरंजन

Mughal Harem: मुगल हरम एक रहस्य बना हुआ था और इसे लेकर कई तरह की धारणाएं भी प्रचलित थीं। इटली के चित्रकार गिउलिओ रोसाती ने मुगलों के हरम को एक स्थान के रूप में प्रस्तुत किया, जहां सिर्फ अय्याशी और मनोरंजन होता था। हालांकि, असल में हरम का रूप और उसकी भूमिका इससे कहीं अधिक गहरी और महत्वपुर्ण थी। इतिहासकार किशोरी शरण लाल ने इस विषय पर विस्तृत रूप से बात की है और हरम की सच्चाई को उजागर किया है।

हरम की स्थापना

भारत में जब मुगलों का आगमन हुआ, तो बाबर ने हरम की स्थापना की। वह हरम जहां उसकी मां, पत्नियां और दासियां रहती थीं। हूमायूं के समय में भी हरम अस्तित्व में था, लेकिन अकबर के शासनकाल में हरम को एक नए रूप में स्थापित किया गया। अकबर ने एक विशाल हरम का निर्माण किया, जहां न केवल उसकी रानियां रहती थीं, बल्कि हरम मुगली शासन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। अकबर के बाद, जहांगीर और शाहजहां के समय में हरम का महत्व और भी बढ़ा।

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हरम की जगहें

मुगल शासकों ने अपनी विभिन्न राजधानी जैसे आगरा, दिल्ली, फतेहपुर सीकरी और लाहौर में हरम बनाए। हालांकि, मुख्य हरम आगरा और दिल्ली में थे। कई बार हरम शाही शिविरों में भी स्थापित किए गए, क्योंकि जहां राजा होता था, वहां हरम भी होता था।

हरम में कौन रहती थीं

मुगल हरम में कई तरह की महिलाएं रहती थीं, जैसे राजा की मां, मौसी, चाची, बहनें, पत्नियां, रखैलें, दासियां, कैदी महिलाएं, छोटे राजकुमार और मनोरंजन करने वाले लोग। हरम में पुरुषों का प्रवेश वर्जित होता था, और राजा के अलावा सिर्फ वे पुरुष प्रवेश कर सकते थे, जो उसके करीबी और अजीज होते थे। यहां की महिलाओं का स्थान उनकी हैसियत और महत्व के हिसाब से तय होता था। हालांकि, अधिकांश महिलाएं राजा को यौन सुख देने के लिए वहां रहती थीं।

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